Friday 30 December 2011


जीवन में संघर्ष जीत और हार के लिए नहीं होता। यह आदमी का सबसे बड़ा भ्रम होता है जो वह यह कहता है कि उसने संघर्ष किया फिर भी वह हार गया। हार कभी संघर्ष से प्राप्‍त ही नहीं हो सकी । संघर्ष से तो केवल प्राप्‍त हो सकती है जीत। संघर्ष जीत के लिए ही किया जाता है। हार तो आपके पास हमेशा है उसको पाने के लिए आपको किसी तरह का संघर्ष नहीं करना । आप संघर्ष नहीं करोगे तो हार अपने आप ही आपका दामन थाम लेगी।
व्‍यक्ति को धैयवान होने की जरूरत है किसी भी चीज को पाने के लिए आपको संघर्ष तो करना ही होगा ।
                         जब हम संघर्ष करते है तो हो सकता है की हमें अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलें। पर इससे अपने आपको मायूस करने की आवश्‍यकता नहीं है ऐसा होता ही रहता है ।इस मामले में मेरा मानना है की जब हम किसी लक्ष्‍य को लेकर  संघर्ष शुरू करते है तो हमारी लिखित परीक्षा शुरू हो जाती है जिसमें हमें कई मुश्किलों का सही जवाब देना होता है हमारी लगन और धैय से हम अपने लक्ष्‍य के लिए आगे बढ़ते है । लेकिन कई बार पूरी लगन से मेहनत करने के बाद हमें परिणाम नहीं मिलता है तो इस स्थिती में हमें मायूसी नहीं होना चाहिए। जब इस तरह की स्थिती आती है तो हमें जरूर लगता है की हम असफल हो गये है। मेहनत का परिणाम नहीं मिलता और हम अपने आगे के प्रयासों को रोककर असफलता को थाम लेते है। उस विषय से अपना मन हटा लेते है। हमें जरूर लगता है की हम असफल हो गए पर वास्‍तव में यह वक्‍त हमारा लिखित परीक्षा पास करने के बाद साक्षात्‍कार का होता है। इस साक्षात्‍कार में यह तय किया जाता है की आपके पास कितना धैय है,कितना विवेक है और आप आने वाली इन विषम परिस्थितियों में अपना व्‍यवहार किस तरह का रखते हैं। होता यह है की हममें से अधिकांश लोग इस साक्षात्‍कार में बैठते ही नहीं और असफलता का दामन थाम कर विषय से भटक जाते है और अपना रोना रोते नजर आते है।

           आपका सस्न्हे  ललीत