Wednesday 24 April 2013

पूरे संसार की जननी है माँ.............


सन्तान की खुशी और उसका सुख ही माँ के लि‍ए उसका संसार होता है.....
पूरे संसार की जननी है माँ। अगर एक नारी ना होती तो शायद भगवान भी सोच में पड़ जाते कि इस दुनिया की रचना कैसे की जाए। भगवान ने नारी को बनाकर और उसे माँ के वात्सल्यपूर्ण शब्द से नवाज कर पूरी दुनिया पर एक बहुत ही बड़ा उपकार किया हैे नि:शब्द है वो सुकून जो मिलता है माँ की गोदी में सर रख कर सोने में माँ एक शब्द छिपा है जिसमे एक अनोखा संसार माँ  एक शब्द आँचल में जिसकी सुकून है सारे जहाँ का  संसार शब्द से याद आया आज  संसार को नए धर्म की नहीं बल्कि सभी धर्मों को जोड़नेवाले धागे की जरूरत है और यह धागा है- 'समझ' का धर्म, जाति, संप्रदाय, राष्ट्र, समाज के झगड़ों से दूर रहकर मानव से मानव को पहचानने की कोशिश करें  शांति एवं खुशी के लिए विश्व एक परिवार है, की भावना पैदा करना आज की आवश्यकता है सोचते हैं कि आज के तथा कथित बड़े लोगों से कुछ आशा करने की अपेक्षा जनता से काम लिया जाए, तो ऐसे नए व्यक्तित्व निकल सकते हैं, जो विश्व की परिस्थितियों को बदलें..........
ललीत राणॆजा जोशी

Wednesday 3 April 2013

सरल को कठिन बनाना आसान है लेकीन कठिन को सरल बनाना मुश्किल है जो कठिन को सरल बनाना जानता है वो व्यक्ति विशेष होता है.......

Monday 1 April 2013

संस्कार ,,,,,,,


संस्कार जीवन का महत्वपूर्ण पहलू है जीवन मे अनेक व्यक्ति ऐसे आते है जो संस्कारो पर जीते है  हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया  धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है भारतीय संस्कृति की महानता में इन संस्कारों का महती योगदान  है प्राचीन काल में हमारा प्रत्येक कार्य संस्कार से आरम्भ होता था  जैसे-जैसे समय बदलता गया तथा व्यस्तता बढती गई तो कुछ संस्कार स्वत: विलुप्त हो गये  हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है धीरे धीरे  विलुप्त हो रही है
अच्छे-बुरे संस्कार होने के कारण मनुष्य अपने जीवन में अच्छे-बुरे कर्म करता है अच्छे संस्कार व नैतिक मूल्यों का यदि छात्र जीवन से ही रोपण कर दिया जाए तो देश उन्नति कर सकता है।
ललीत जोशी..........