Thursday 28 February 2013

बिन बेटी क्या पाओगे?


बिन बेटी क्या पाओगे?
बेटी से संसार सुनहरा  बेटी नयनों की ज्योति है सपनों की अंतरज्योति है बेटी क्या होती है यह हर कोई नहीं जान पाता धरती को मिटा कर भला फिर तुम पाओगे क्या हमारे समाज में बेटे-बेटी के बीच होने वाला भेदभाव कम तो हुआ है पर खत्म नहीं हुआ बेटी बिन न होता कोई काम सफल  आज बेटी नहीं बचाओगे तो कल माँ कहाँ से पाओगे  मेरे हम सफ़र और हम उम्र साथियों जिन्दगी में हर इंसान को सब कुछ नहीं मिलता जो वो चाहता है पर कुछ लोग खुश नसीव होते है उन लोगो को वो सब कुछ मिल जाता है जो वो चहाते है तो साथियो समय को पहचानो और उस के अनुसार अपने आप को बदल लो इस में ही समझदारी है अगर आप बेटी नही बचाओगे तो आप शादी कीससे करोन्गे  अपने बेटे के लीये बहु  कहा से लाओन्गे  ये ही जीवन का सच्चा और कटु सत्य है तो क्यों न हम सब इसी और अपने कदम बढाये और एक अच्छे समाज का निर्माण करे...
ललीत जोशी........... मेरे घर की रोशनी...........

Sunday 24 February 2013

,हौसला दीलाया आपने..........॥॥॥॥


कलम था हाथ में, लीखना सीखाया आपने. कलम था हाथ में, लीखना सीखाया आपने. ताकत थी हाथ में,हौसला दीलाया आपने.............दोस्तो दोस्ती करना इतना आशान है जैसे माटी पर माटी से माटी लीखना पर बीछडना आसान नही है जेसे पानी पर पानी लीखना ..मुझे प्यार मीला है जबसे,मैं खुश रहता हु तबसे लीखता था मै तबसे जब पढता था गाव की स्कुल मे लीखना मेरी माताकी असीमकृपा मुझे चारो और से प्यार मीला जीवन की ना पहेंचान है पर रख जाउगा माताका ज्ञान प्रेम भावना की ये मंझील है जहां जीव को मीलना है सामने जब  आती है राहे संभल संभल कर चलना है प्रेम जगमें पाया मैने ये माता जी की है देन सपने मेरे पुरे हो रहे है,ये है प्रभुकी  रहम है ..............
ललीत जोशी..........

Friday 22 February 2013

बदल गया है,


वैसे इस बार मौसम बदल गया है दिन भर जोरों की गमी पड़ रही है सब कुछ बदलता है पर कुछ लोग वक्त के साथ बदलते हैं कुछ लोग वक्त से पीछे रह जाते हैं पर कुछ लोगो से वक्त इतना खुश होता है कि वो उनको बदलने की जरुरत नहीं समझता...  सब कुछ बदल गया,इसी देश मे देश भक्तो का अकाल पड़ गया  कसमे तो सभी खाते थे सभी देश की,आज के इस दौर मे सब कुछ बदल गया जीवन के संघर्ष और झंझावतों के बीच झूलते रहने से काम नहीं चलेगा बदल दें वह सब कुछ जो पुराना पड़ चुका है बदलते हालात का सामना करने से सब कुछ बदल सकता है... जाने कब ?क्यूँ ? और कैसे ?
बदल गई सब रीत पुरानी, वक़्त, बदल गया है, जैसे बदल गया पवीत्र गंगा का पानी। गीरगीट भी अपना रन्ग बदलता है
ललीत जोशी..............

Thursday 21 February 2013

माँ: जीवन एक कठिन यात्रा है ...........????????

माँ: जीवन एक कठिन यात्रा है ...........????????: संघर्ष में जीना ही , हम ने फूलों से सिखा है , जीवन मे जो भी कठिनाइयां आये उसे जीना सीखो संघर्ष करो. जीवन एक कर्तव्य है, उसे पूरा करो जीवन ...

जीवन एक कठिन यात्रा है ...........????????


संघर्ष में जीना ही , हम ने फूलों से सिखा है , जीवन मे जो भी कठिनाइयां आये उसे जीना सीखो संघर्ष करो. जीवन एक कर्तव्य है, उसे पूरा करो जीवन जीना है तो पग पग पर काफी कठिनाइयों का सामना करना पडेगा अगर हममें धैर्य और अध्यवसाय होगा तो हम बडी-से-बडी कठिनाइयों को पार कर सकेंगे  जीवन एक कठिन यात्रा है पर जितना महान और बड़ा लक्ष्य उतनी बड़ी कठिनाइयां भी आती हैं!!!...मगर मैंने यही जाना है और सीखा है कि जिनके इरादे बुलंद होते हैं उनके आगे कठिनाइयां भी हार जाती ...
ललीत जोशी

Monday 18 February 2013

प्यासे को पानी पिलाया नहीं..........


मीत्रो ग्रमी धीरे धीरे बड रही हैसेवा की भावना से हो जल का काम  सेवा एवं प्रेम की भावना से जुडे रहीये हमारे देश में हमेशा से ही सेवा की परंपरा रही है. जल सेवा भी इसी संस्कृति से प्रेरित है उपनिषद में कहा गया है कि 'अमृत वै आप:' यानि पानी ही अमृत है हमारे देश में हमेशा से ही सेवा की परंपरा रही है धरती का अमृत है पानी... जल सेवा ही सबसे बडी सेवा है
 प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा..........................
ललीत जोशी....
धन्यावाद गुगल जी आपका फ़ोटो के लीये..

Saturday 16 February 2013

मधुर वाणी पर सोच समझकर विचार करना चाहिए और हमेशा सोच समज कर ही बोलना चाहीये हमेशा प्रिय बोलने वाले देव होते हैं और कू्र भाषी बोलने वाले पशु होते हैं। आज सुबह सन्सकार चेनल देख रहा तब ये भी ऎसा सुना त्रिवेणी के पावन तट एवं महाकुंभ के अवसर पर शांतिदूत देवकीनंदन ने अपनी मधुर वाणी में उपस्थित जनसमूह के संबोधित करते हुए कहा कि मानव के जीवन में मधुर वाणी सत्संग एवं भजन करने से ही शांति आ सकती है.......... ललीत जोशी......

Friday 15 February 2013

लिखना

जब लिखना शुरु किया तभी एक मित्र ने सुझाया कि प्रतिभा और कुछ नहीं, मेहनत का ही एक सुन्दर नाम है......... लिखना दरअसल क्या है ? जब भाव , अहसास आपके मन में उमड़े तो उन्हें अभिव्यक्त करना है अक्सर लोग कहते है, आप अच्छा लिखते हैं ।" दिल भी करता है कि कुछ लिखें और लिखने के बाद अच्छा भी लगता है पर जब भी हम अच्छा लिखते हैं तो न तो उसको कोई पढऩे आता है और न ही कोई टिप्पणी मिलती है।
ललीत जोशी......

Sunday 3 February 2013

किस बात पर गर्व करूँ ?? लाखों करोड़ के घोटालों पर ? 85 करोड़ भूखे गरीबों पर ? 62 प्रतिशत कुपोषित इंसानों पर ? या क़र्ज़ से मरते किसानों पर ? किस बात पर गर्व करूँ ?? जवानों की सरकटी लाशों पर ? सरकार में बैठे अय्याशों पर ? अभी-अभी गणतन्त्र दिवस पर पूरे गर्व से तिरंगा फहराया; पूरी शिद्दत के साथ उसे सलामी देते हुए आजादी की जंग में अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीदों को याद किया; सड़कों पर छोटे-छोटे बच्चों को तिरंगे के साथ मस्ती से झूमते हुए देखा है, लगा कि वाकई इस महान देश की महानता ऐसे ही नहीं है हमें भारतीय होने पर गर्व है लेकिन भारत में एक औरत होना गर्व की बात नहीं। भारतीय नारी होने का मतलब है ता-उम्र त्याग, इच्छाओं को बलवती देना और अपने जिंदगी के अहम फैसले दूसरे के हाथ ऎसा सीर्फ़ हमारे देश मे है सर्वप्रथम मुझे इस बात का गर्व है की में हिंदू हूँ पर उससे पहले में एक इंसान हूँ जिसमे अंदर सोचने समझने की शक्ति है, अच्छाई और बुराई मे फ़र्क करने की शक्ति है और हर इंसान की तरह मुझे भी अपने क्रोध और प्रेम पर नियंत्रण नहीं है मेरे लेख को पढे़ बिना किसी तरह की टिप्पणी नहीं करे तो बेहतर होगा। ललीत जोशी