बिन बेटी क्या पाओगे?
बेटी से संसार सुनहरा बेटी नयनों की ज्योति है सपनों की अंतरज्योति है बेटी क्या होती है यह हर कोई नहीं जान पाता धरती को मिटा कर भला फिर तुम पाओगे क्या हमारे समाज में बेटे-बेटी के बीच होने वाला भेदभाव कम तो हुआ है पर खत्म नहीं हुआ बेटी बिन न होता कोई काम सफल आज बेटी नहीं बचाओगे तो कल माँ कहाँ से पाओगे मेरे हम सफ़र और हम उम्र साथियों जिन्दगी में हर इंसान को सब कुछ नहीं मिलता जो वो चाहता है पर कुछ लोग खुश नसीव होते है उन लोगो को वो सब कुछ मिल जाता है जो वो चहाते है तो साथियो समय को पहचानो और उस के अनुसार अपने आप को बदल लो इस में ही समझदारी है अगर आप बेटी नही बचाओगे तो आप शादी कीससे करोन्गे अपने बेटे के लीये बहु कहा से लाओन्गे ये ही जीवन का सच्चा और कटु सत्य है तो क्यों न हम सब इसी और अपने कदम बढाये और एक अच्छे समाज का निर्माण करे...
ललीत जोशी........... मेरे घर की रोशनी...........