Monday 7 November 2011

दो गुलाब की पंखुरियां छू गयी जब से होंठ मेरे
ऐसी गंध बसी है मन में सारा जग मधुवन लगता है
रोम रोम में खिले चमेली
सांस-सांस में महके बेला
पोर-पोर से झरे चंपा
अंग-अंग जुड़े पूजा का मेला
पग-पग में लहरें मान सरोवर
डगर-डगर छाया कदम्ब की,
तुमने क्या कर दिया उम्र का खंडहर,राज भवन लगता है
तुम्हे चूमने का गुनाह कर
ऐसा पुण्य कर गयी माटी
जनम जनम के लिए हरी
हो गयी प्राण की बंजर घाटी
पाप पुण्य की बात  छेड़ो,स्वर्ग नरक की करो  चर्चा
याद किसी की मन में हो तो पंजाब भी वृन्दावन लगता है
तुम्हे देख क्या लिया की कोई
सूरत दिखती नही पराई
तुमने क्या छु दिया,बन गई
मेरी जिंदगी मुझसे ही पराई
कोन करे अब मंदिर में पाठ,कोन फिराए हाथ में माला
जीना हमें भजन लगता है,मरना हमें हवन लगता है||

Friday 4 November 2011


हमें जानवर से इसान बनाने का काम करते हैं हमारे गुरुजन.जो जिंदगी के हर मोड पर अपनी भूमिका निभाते है और हमें इंसान बनाते है....आप सोच रहे होंगे कैसे? तो भाई जरा पीछे मुड के देखो..जब इस दुनियां में आये थे तब क्या सूट बूट पहन कर आये थे??क्या खाना है?? क्या बोलना है ??आप को पता था ! आप को चलना आता था?? नही न ! ये सब है जिसने सिखाया वो हैं हमारे पहले गुरुजन हमारे माता-पिता..फिर हम थोड़े बड़े हुए स्कूल जाना शुरू किया वह हमें हाथ पकड़ कर लिखना सिखाया गया..पढ़ना सिखाया गया.मैनर सिखया गया...ये सिलसिला कॉलेज से लेकर यूनिवर्सिटी..फिर जॉब या बिजनेस तक चलता रहता है.जीवन के हर मोड पर जब हम बिखराव महसूस करते है...तब जो शख्सियत हमें सवारती है..वो गुरु ही है ...
हम सब कि जिंदगी में गुरुजनों का बड़ा योगदान होता है.

माँ हमारा पहला गुरु है.
पिता और माता द्वारा दिए गए संस्कार हमारे जीवन को सही दिशा देते हैं.
स्कूल और कॉलेज के गुरु ज्ञान के दरवाजे हमारे लिए खोलते हैं.

लेकिन जिंदगी से बड़ी युनिवर्सिटी कोई नही जिसका हर दिन उगने वाला सूरज हमें कुछ न कुछ नया देता है और हम अपने संस्कार के आधार पर उसे बना या बिगाड सकते हैं....

हर मा बाप को अपने बच्चे में सरवन कुमार वाला दिल चाहिए.
हर पति को अपने पत्नी में सावित्री वाला दिल चाहिए.
बच्चों को मा बाप का दोस्ती भरा दिल चाहिए.
तो हर पत्नी को पति में प्रेमी वाला दिल चाहिए.
हर प्रेमिका को अपने प्रेमी में श्री कृष्ण वाला दिल चाहिए तो हर प्रेमी को रह वाला दिल चाहिए..
पर अफ़सोस न कोई श्री कृष्ण जैसा दिल रखना चाहता है और न ही कोई राधा सामान दिल कि मालकिन बनना चाहती 
है...
पत्नी के दिल को पति को कोसने के आलावा कुछ नही आता पति के दिल को गुस्सा व अनदेखी करने के आलावा कुछ 
नही आता.कहने का मतलब बस इतना है कि हर किसी को दुसरे का दिल ,एक आदर्श रूप में चाहिए .अपने दिल में चाहे
जिस कदर का लालच, बेवफाई, क्रूरता और चालाकी भरी हो पर दुसरे के दिल में मिठास होना चाहिए समर्पण होना चाहिए.
इतने बतकूचन का सिर्फ इतना सा मतलब है कि आज हर किसी को आदर्श दिल चाहिए .सच्चा प्यार चाहिए..जो सिर्फ 
उनके लिए समर्पित रहे वफादार रहे सच्चा रहे...पर बदले में वे????? लेकिन भईया ऐसा कहाँ होता है एक हाथ से ताली 
थोड़े ही बजती है...आदर्श दिल पाने का सिर्फ एक ही रास्ता है अपने अपने दिल को पूरे जतन के साथ सवारें-सुधारें सच्चा 
बनाइये.जैसा दिल चाहिए ठीक वैसा दिल अपना बनाइये..तभी जाकर आपको खास दिल पाने कि चाहत पूरी होगी...जरूर 
पूरी होगी...   

Thursday 3 November 2011

माँ शब्द में संसार का सारा प्यार भरा है.वह प्यार जिस के लिए संसार का हर प्राणी भूखा है .हर माँ की तरह मेरी माँ भी प्यार से भरी हैं,त्याग की मूर्ति हैं,हमारे लिए उन्होंने अपने सभी कार्य छोड़े और अपना सारा जीवन हमीं पर लगा दिया.
शायद सभी माँ ऐसा करती हैं किन्तु शायद अपने प्यार के बदले में सम्मान को तरसती रह जाती हैं.हम अपने बारे में भी नहीं कह सकते कि हम अपनी माँ के प्यार,त्याग का कोई बदला चुका सकते है.शायद माँ बदला चाहती भी नहीं किन्तु ये तो हर माँ की इच्छा होती है कि उसके बच्चे उसे महत्व दें उसका सम्मान करें किन्तु अफ़सोस बच्चे अपनी आगे की सोचते हैं और अपना बचपन बिसार देते हैं.हर बच्चा बड़ा होकर अपने बच्चों को उतना ही या कहें खुद को मिले प्यार से कुछ ज्यादा ही देने की कोशिश करता है किन्तु भूल जाता है की उसका अपने माता-पिता की तरफ भी कोई फ़र्ज़ है.माँ का बच्चे के जीवन में सर्वाधिक महत्व है क्योंकि माँ की तो सारी ज़िन्दगी ही बच्चे के चारो ओर ही सिमटी होती है.माँ के लिए कितना भी हम करें वह माँ के त्याग के आगे कुछ भी नहीं है .माँ बदला नहीं चाहती चाहती है केवल बच्चों का प्यार ओर हम कितने स्वार्थी होते हैंकि हम वह भी माँ को नहीं दे पाते.विश्व में हम देखते हैंकि जितने सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचे हैं उनकी सफलता में माँ का महत्व है
मा आपका प्यारा ललीत  

माँ ... कितना एहसास है इसमें ,
नाम से ही सिरहन हो जाती है |
कैसे भूले  हम उस माँ को 
जिसने हमें बनाया है |
अपना लहू पिला - पिला कर ...
ये मानुष तन दिलवाया  है |
उसके प्यारे से स्पंदन ने 
हमको जीना सिखलाया  है |
धुप - छाँव के एहसासों  से 
हमको अवगत करवाया  है |
हम थककर जब  रुक जाते हैं |
वो बढकर राह दिखाती   है |
दुनियां के सारे रिश्तों से 
हमको परिचित  करवाती है |
जब कोई साथ न रहता  है |
वो साया  बन साथ निभाती है |
खुद सारे दुख अपने संग ले जाकर 
हमें सुखी कर जाती है |
बच्चों की खातिर वो...
दुर्गा - काली भी बन जाती है |
बच्चों के चेहरे में ख़ुशी देख ,
अपना जीवन सफल बनाती है |
उसके जैसा रिश्ता अब तक 
दुनियां में न बन पाया है  |
कितना भी कोई जतन करले 
उसके एहसानों से उपर न उठ पाया है  |
ऊपर वाले ने भी सोच - समझ कर 
हमको प्यारी माँ का उपहार दिलाया है |http://www.blogger.com/blogger.g?blogID=6476798238916947358#editor/target=post;postID=1705146234172541567

Wednesday 2 November 2011

माँ की ममता एक बच्चे के जीवन की अमूल्य धरोहर होती है । माँ की ममता वो नींव का पत्थर होती है जिस पर एक बच्चे के भविष्य की ईमारत खड़ी होती है । बच्चे की ज़िन्दगी का पहला अहसास ही माँ की ममता होती है । उसका माँ से सिर्फ़ जनम का ही नही सांसों का नाता होता है । पहली साँस वो माँ की कोख में जब लेता है तभी से उसके जीवन की डोर माँ से बंध जाती है । माँ बच्चे के जीवन के संपूर्ण वि़कास का केन्द्र बिन्दु होती है । जीजाबाई जैसी माएँ ही देश को शिवाजी जैसे सपूत देती हैं । 

जैसे बच्चा एक अमूल्य निधि होता है वैसे ही माँ बच्चे के लिए प्यार की , सुख की वो छाँव होती है जिसके तले बच्चा ख़ुद को सुरक्षित महसूस करता है । सारे जहान के दुःख तकलीफ एक पल में काफूर हो जाते हैं जैसे ही बच्चा माँ की गोद में सिर रखता है ।माँ भगवान का बनाया वो तोहफा है जिसे बनाकर वो ख़ुद उस ममत्व को पाने के लिए स्वयं बच्चा बनकर पृथ्वी पर अवतरित होता है ।