Saturday 27 October 2012


जब कभी मैं उदास होता हूँ
एक बात वो याद कर लेता हूँ
जो जीते जी दादी ने कहा था
उस बात पे गौर फरमाता हूँ
मुझे,अकेला,उदास,खामोश
चुप ,शांत,हताश ,निराश,परेशान
जब कभी मेरी दादी देख लेती थी
मुझे एक बात बताती थी
भगवान ने तुम्हे हाथ,पैर
और ये मानव शरीर दिया हैं
तुम कही भी ,कुछ भी ईमानदारी से करके
दो वक़्त की रोटी कमा सकते हो
जरा सोचो उनके बारे में जिनकी आंखे नहीं हैं
फिर भी वे जिन्दगी को गले लगाके जी रहे हैं
किसी के पास दो बीघा जमीन भी नहीं हैं
वे दूसरों के खेतों में फसल उपजाके अपना घर चला रहे हैं
तुम तो उनसे बेहतर स्थिति में हो फिर भी इतने चिंतित हो
जब कभी मैं उदास होता हूँ
दादी की ये बात मुझे जीने को मजबूर करती हैं