Thursday 28 March 2013

सोचता हूँ

मैं आप तमाम पाठक से जुड़ने की भरपुर कोशिश कर रहा हूँ इसलिए आशा करता हूँ कलम के जरिये उभरे मेरे भावना के पुष्पों को जो मैं आपके हवाले करता हूँ मैं  ये  सोचता  हूँ  कि  इस  फ़ेसबुक  के  जरिये  मैं दो चार लोगों  की  ज़िन्दगी  को  बेहतर  बना  सकता  हूँ . मैं  हमेशा  यही  प्रयास  करता  हूँ  कि  कैसे  अच्छी  से  अच्छी  बातें  शेयर करूँ  कि  पढने  वालों  की  लाईफ़  में  पोजेटीव चेन्ज आएं , और  शायद  यही  वज़ह  है  कि  मैं  इस  काम   से  कभी  थकता  नहीं  हूँ  और  इसे  कर  के  सचमुच  बहुत  खुश  और  संतुष्ट  होता हूँ मुझे लगता हैं कभी मैं अपने बारे में सोचता हूँ, कभी लगता हैं मैं लोगों के बारे में सोचता हूँ क्या गरीबों, असहायों के बारे में सही में कोई सोचता है?
ललीत जोशी

Tuesday 26 March 2013

होली'''''''''

आओ आज प्यार से इक दूजे के दिल भी रंग डाले. आओ प्यार के रंग गुलाल से होली खेले रग-पिचकारी, अबीर-गुलाल की होली, मजबुत ईरादो,और ऊचे हौसलो की होली, बच्चो के सग प्यार और दुलार की होली, बडो के सग आदर और सम्मान की होली, मित्रो के सग सहयोग और विश्वास की
होली, दुश्मनो के सग मित्रता और भाईचारे की होली आओ खेले होली संग मिल सब खेले होली जल्दी आना हम सब मील खेले होली''''''''''''''''''''''''''
ललीत जोशी'''''''''''''''''''''''''''
 

Monday 25 March 2013

होली है.........


राणॆजा जोशी परिवार की तरफ़ से आप सभी को होली की  ढेर सारी  रंगारंग शुभकामनाएँ
कीया खुब लीखा है  -"नजीर अकबराबादी
जब फागुन रँग झमकते हो तब देख बहारेँ होली की |
गुलजार खिले हो परियोँ के और मजलिस की तैयारी हो |
कपड़ो पर रँग के छीटोँ से खुश रँग अजब गुलकारी हो |
मुँह लाल, गुलाबी आँखे हो और हाथोँ मेँ पिचकारी हो |
उस रँग भरी पिचकारी को अँगिया पर तक कर मारी हो |
सीनो से रँग ढलकतेँ हो तब देख बहारेँ होली की .
एक बार पुन: सभी को सपरिवार व इष्टमित्रों सहित होली की ढेरों शुभकामनायें
ललीत जोशी.......

Saturday 23 March 2013

सहनशक्ति ,,,,,,,,,,,,

सहनशक्ति एक न एक दिन परेशानियों को भी दूर कर देती है लेकिन इसके साथ सरलता व विनम्रता भी जरूरी चाहिए अपनी सहनशक्ति को बढ़ाने का प्रयास करो कभी-कभी अपने कानों को अपने विरोध के स्वर सुनना भी सिखाओ सदैव अपनी प्रशंसा के शब्द सुनने को उत्सुक मत रहो विपरीत परिस्थिति में भी मुस्कराने का प्रयास करो दुःख हम को हमारी वास्तविकता का बोध कराता है हम में कितनी सहनशक्ति है कितना साहस है कितना धेर्य है एवं हम को ईश्वर पर कितना भरोसा है  सहनशक्ति का आधार बनावटी बातों से परे जाना है हम अपने बुरे अनुभवों के लिए दूसरों को दोष देते हैं, जबकि हमें अपने अंदर झांककर स्वयं को जानना है सहनशीलता एक ऐसी भक्ति है, जो अंदर ही अंदर काम करती है सहनशक्ति सुखी परिवार का आधार है सुखी परिवार के लिए हमे सहनशील , स्नहेशिल, श्रमशील होना जरुरी है
ललीत जोशी

पुण्य ?????

धर्मशास्त्रों की बातों पर गौर करें तो मोटे तौर पर कर्मों के दो परिणाम बताए गए हैं - पाप और पुण्य जो जीवात्मा कर्म बंधन में फंसकर पाप कर्म से दूषित हो जाता हैं उन्हें यमलोक जाना पड़ता है पाप कर्म मनुष्य जीवन के लिए अभिशाप है  कोई मनुष्य आग की लपटों से खेलना चाहे तो वह बिना झुलसे बच नहीं सकता पृथ्वी को मृत्यु लोक और कर्म भूमि कहा गया है। यहां ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो एक क्षण भी कर्म किये बिना रह सकता है। कर्म अच्छे भी हो सकते हैं और बुरे भी हो सकते हैं मानव पुण्य कर्म का फल चाहता है, किन्तु पुण्य कर्म करना नहीं चाहता। इसी प्रकार पाप कर्म का फल वह नहीं चाहता, किन्तु पापकर्म को प्रयत्नपूर्वक करता है।
ललीत जोशी 

Thursday 21 March 2013

आखीर क्यु?


आखीर ऎसा क्यो हॊता हे रुपया कमाने के लिए आखीर मेहनत तो करनी ही होती है  ये सभी मन ही मन जानतॆ हॆ.... आज नॆता ... आखीर जनता ईन नेताओ की उन्नती के खीलाफ आवाज़ क्यो नही उठाते आखीर ऎक् नॆता चुनाव कॆ समय ईतना खर्चा क्यो कर दॆता हे जीतना तो उसॆ अपने कर्यकाल के पगार कॆ रुप मे नही मीलता हे फ़ीर भी  हम सब चुप है मेरे दोस्तो अब हम भारतीय मुर्ख नहीं है, जो कुछ अभी भी बाकी रहे है, उन्हें आप जैसे देश भक्त  अपनी कलम का सही इस्तमाल करके समझदार बना देंगे. पर मेरा देश जरूर बचेगा. और आगे कोइ लूट ना सकेंगा. आखीर देश कीस खाई मे गीर रहा  है ???......
ललीत जोशी

Thursday 14 March 2013

अध्याय नही है !!!!!!!!!!!!


 माँ जो पहले एक बेटी, बहन, बीवी, बहू और फिर माँ बनकर अपनी पूरी जीवनभर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है माँ का बच्चे के जीवन में सर्वाधिक महत्व है क्योंकि माँ की तो सारी ज़िन्दगी ही बच्चे के चारो ओर ही सिमटी होती है माँ एक शब्द भर नहीं, बल्कि वह अपने भीतर एक पूरी कायनात समेटे हुए है माँ बिना इस सृष्टी की कलप्ना अधूरी है हर किसी कि जिंदगी माँ से ही शुरू होती है और माँ ही हमे सबसे अच्छे तरह समझ सकती है माँ के महत्त्व को वो सबसे अच्छे तरह जान सकते है जिनकी माँ नहीं होती .. माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है ये अध्याय नही है और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है.......
ललीत जोशी....,,,,,,

Tuesday 12 March 2013

बुलंद


जब कलम बोलती है कमाल बोलती है लफ्ज़ मेरे बोलते हैं दोस्तों की जुबान से कलम हाथ में आकर बोली कुछ लिख दे फिर मैंने सोचा क्या लिखूं आज मेरी कलम से ....... पर लीखना भी ईतना आसान नही है  लगन व मेहनत से किसी भी कार्य को आसानी से सफलतापूर्वक किया जा सकता है बुलंद हो हौंसले, तो राहें बनती आसान जब दूसरों को बदलना नामुमकिन हो  तो आपको खुद को ही बदल लेना चाहिए अब कुछ और लीखने की हिम्मत नहीं है और वैसे भी कुछ और लीखने को बचा भी नही है
ललीत जोशी...