Saturday 23 March 2013

पुण्य ?????

धर्मशास्त्रों की बातों पर गौर करें तो मोटे तौर पर कर्मों के दो परिणाम बताए गए हैं - पाप और पुण्य जो जीवात्मा कर्म बंधन में फंसकर पाप कर्म से दूषित हो जाता हैं उन्हें यमलोक जाना पड़ता है पाप कर्म मनुष्य जीवन के लिए अभिशाप है  कोई मनुष्य आग की लपटों से खेलना चाहे तो वह बिना झुलसे बच नहीं सकता पृथ्वी को मृत्यु लोक और कर्म भूमि कहा गया है। यहां ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो एक क्षण भी कर्म किये बिना रह सकता है। कर्म अच्छे भी हो सकते हैं और बुरे भी हो सकते हैं मानव पुण्य कर्म का फल चाहता है, किन्तु पुण्य कर्म करना नहीं चाहता। इसी प्रकार पाप कर्म का फल वह नहीं चाहता, किन्तु पापकर्म को प्रयत्नपूर्वक करता है।
ललीत जोशी 

No comments:

Post a Comment