Tuesday 12 March 2013

बुलंद


जब कलम बोलती है कमाल बोलती है लफ्ज़ मेरे बोलते हैं दोस्तों की जुबान से कलम हाथ में आकर बोली कुछ लिख दे फिर मैंने सोचा क्या लिखूं आज मेरी कलम से ....... पर लीखना भी ईतना आसान नही है  लगन व मेहनत से किसी भी कार्य को आसानी से सफलतापूर्वक किया जा सकता है बुलंद हो हौंसले, तो राहें बनती आसान जब दूसरों को बदलना नामुमकिन हो  तो आपको खुद को ही बदल लेना चाहिए अब कुछ और लीखने की हिम्मत नहीं है और वैसे भी कुछ और लीखने को बचा भी नही है
ललीत जोशी...

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