Friday 4 November 2011


हमें जानवर से इसान बनाने का काम करते हैं हमारे गुरुजन.जो जिंदगी के हर मोड पर अपनी भूमिका निभाते है और हमें इंसान बनाते है....आप सोच रहे होंगे कैसे? तो भाई जरा पीछे मुड के देखो..जब इस दुनियां में आये थे तब क्या सूट बूट पहन कर आये थे??क्या खाना है?? क्या बोलना है ??आप को पता था ! आप को चलना आता था?? नही न ! ये सब है जिसने सिखाया वो हैं हमारे पहले गुरुजन हमारे माता-पिता..फिर हम थोड़े बड़े हुए स्कूल जाना शुरू किया वह हमें हाथ पकड़ कर लिखना सिखाया गया..पढ़ना सिखाया गया.मैनर सिखया गया...ये सिलसिला कॉलेज से लेकर यूनिवर्सिटी..फिर जॉब या बिजनेस तक चलता रहता है.जीवन के हर मोड पर जब हम बिखराव महसूस करते है...तब जो शख्सियत हमें सवारती है..वो गुरु ही है ...
हम सब कि जिंदगी में गुरुजनों का बड़ा योगदान होता है.

माँ हमारा पहला गुरु है.
पिता और माता द्वारा दिए गए संस्कार हमारे जीवन को सही दिशा देते हैं.
स्कूल और कॉलेज के गुरु ज्ञान के दरवाजे हमारे लिए खोलते हैं.

लेकिन जिंदगी से बड़ी युनिवर्सिटी कोई नही जिसका हर दिन उगने वाला सूरज हमें कुछ न कुछ नया देता है और हम अपने संस्कार के आधार पर उसे बना या बिगाड सकते हैं....

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