Friday 22 February 2013

बदल गया है,


वैसे इस बार मौसम बदल गया है दिन भर जोरों की गमी पड़ रही है सब कुछ बदलता है पर कुछ लोग वक्त के साथ बदलते हैं कुछ लोग वक्त से पीछे रह जाते हैं पर कुछ लोगो से वक्त इतना खुश होता है कि वो उनको बदलने की जरुरत नहीं समझता...  सब कुछ बदल गया,इसी देश मे देश भक्तो का अकाल पड़ गया  कसमे तो सभी खाते थे सभी देश की,आज के इस दौर मे सब कुछ बदल गया जीवन के संघर्ष और झंझावतों के बीच झूलते रहने से काम नहीं चलेगा बदल दें वह सब कुछ जो पुराना पड़ चुका है बदलते हालात का सामना करने से सब कुछ बदल सकता है... जाने कब ?क्यूँ ? और कैसे ?
बदल गई सब रीत पुरानी, वक़्त, बदल गया है, जैसे बदल गया पवीत्र गंगा का पानी। गीरगीट भी अपना रन्ग बदलता है
ललीत जोशी..............

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