मधुर वाणी पर सोच समझकर विचार करना चाहिए और हमेशा सोच समज कर ही बोलना चाहीये हमेशा प्रिय बोलने वाले देव होते हैं और कू्र भाषी बोलने वाले पशु होते हैं। आज सुबह सन्सकार चेनल देख रहा तब ये भी ऎसा सुना त्रिवेणी के पावन तट एवं महाकुंभ के अवसर पर शांतिदूत देवकीनंदन ने अपनी मधुर वाणी में उपस्थित जनसमूह के संबोधित करते हुए कहा कि मानव के जीवन में मधुर वाणी सत्संग एवं भजन करने से ही शांति आ सकती है.......... ललीत जोशी......
No comments:
Post a Comment