Tuesday 10 July 2012

सबसे बड़ा धर्म -माता पिता की सेवा करना
भारत वर्ष में एक से बढ़कर एक जीवात्मा पैदा हुए है ,भारत की मिटटी में जन्म लेना ही इश्वर की बहुत बड़ी कृपा है ,लेकिन इस धराधाम में जिसने जन्म लेकर भी कुछ पुण्य नहीं कमाया उसका जीवन पशु के सामान है , भारत की मिटटी में जन्म लेने के लिए देवता भी कितने जप तप करते है , लेकिन आज के समाज में कोई किसी का नहीं है , उसे सिर्फ अपने सुख से मतलब है , जिस मिटटी में जन्म लिया है उसी को आज बेच रहे है , जिस माँ ने नौ महीने अपने गर्भ में पाला है आज वो दर -दर की ठोकरे खा रही है .. वेदों में कहा गया है की -|पिता धर्म है ,पिता स्वर्ग है तथा पिता ही तप है ,आज भारतीय युवाओं के पास अपने बुजुर्गों के लिए समय नहीं है |जबकि भारतीय समाज में माता-पिता की सेवा को समस्त धर्मों का सार है |समस्त धर्मों में पुण्यतम् कर्म :माता-पिता की सेवा ही है ,पाँच महायज्ञों में भी माता -पिता की सेवा को सबसे अधिक महत्व प्रदान किया है पिता के प्रसन्न हो जाने पर सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं |माता में सभी तीर्थ विद्यमान होते हैं |जो संतान अपने माता -पिता को प्रसन्न एवम संतुष्ट करता है उसे गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है |जो माता -पिता की प्रदक्षिणा करता है उसके द्वारा समस्त पृथ्वी कीप्रदक्षिणा हो जाती है |जो नित्य माता -पिता को प्रणाम करता है उसे अक्षय सुख प्राप्त होता है |जब तक माता -पिता की चरण रज पुत्र के मस्तक पर लगी रहती है तब तक वह शुद्ध एवम पवित्र रहता है |माता पिता का आशीर्वाद न हो तो हम जीवन में कभी भी सफल नहीं हो सकते है.

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